जब इमोशंस शरीर को हाईजैक कर लेते हैं तो क्या होता है?
क्या आपने कभी महसूस किया है कि गुस्सा आते ही दिल तेज़ धड़कने लगता है, डर लगते ही पेट में अजीब-सी हलचल होने लगती है? चिंता होने पर हाथ ठंडे पड़ जाते हैं? दुख होने पर सीने में भारीपन आ जाता है?
ये सब सिर्फ “मन की बातें” नहीं हैं। ये असल में आपके शरीर की ऑटोमैटिक प्रतिक्रिया है- जिसका कंट्रोल आपके इमोशंस के पास है। हम अक्सर सोचते हैं कि इमोशंस दिमाग की चीज़ हैं, लेकिन सच यह है कि इमोशंस पहले शरीर में महसूस होते हैं और बाद में दिमाग में।
यानी आपका दिमाग नहीं, आपका शरीर पहले रिएक्ट करता है। इसी को कहते हैं: Nervous System Hijack जब इमोशन आपका शरीर “संभाल” लेता है और आप उसे रोक नहीं पाते। आइए इसे बेहद आसान भाषा में गहराई से समझते हैं-
हमारे इमोशंस और शरीर का संबंध
इमोशंस या भावनाएं हमारे पूरे शरीर को प्रभावित करती हैं। जब हम किसी भावना का अनुभव करते हैं- जैसे खुशी, डर, गुस्सा या दुख—तो वह भावना हमारे मस्तिष्क में उत्पन्न होती है, और उसके बाद वह पूरे शरीर में एक शारीरिक प्रतिक्रिया का रूप ले लेती है।
हमारे शरीर के कई हिस्से, मसलन दिल, फेफड़े, स्नायु तंत्र, और हार्मोनल सिस्टम, भावनाओं के संकेतों पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रतिक्रिया कभी-कभी इतनी तेज होती है कि हमें पता भी नहीं चलता कि हमारे शरीर को हमारी भावनाओं ने नियंत्रित कर लिया है। यह सब साबित करता है कि हमारा शरीर और मन एक दूसरे से अविभाज्य हैं। इसलिए भावनाओं को नियंत्रित करना केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।
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भावनाएं कैसे बनती हैं?
शोध से पता चलता है कि भावनाएं शरीर में न्यूरो-इम्यूनो-एंडोक्राइन सिस्टम के माध्यम से काम करती हैं। आधुनिक न्यूरोसाइंस कहता है कि भावनाएं मस्तिष्क के अमिग्डाला (amygdala) और फ्रंटल लोब (frontal lobe) जैसी जगहों पर उत्पन्न होती हैं। अमिग्डाला विशेष रूप से भय और चिंता जैसी भावनाओं को तुरंत पहचानकर शरीर को तैयार कर देता है।
जब कोई खतरा महसूस होता है, तो अमिग्डाला तंत्रिका संदेश भेजता है जो हार्मोनल बदलाव, हृदयगति में वृद्धि, सांस लेने की दर तेज करने जैसे शारीरिक उपायों को सक्रिय करते हैं। यही कारण है कि जब हम डरे हुए होते हैं, तो हमारा दिल तेजी से धड़कता है, सांस तेज हो जाती है, और शरीर में एड्रेनालाईन नामक हार्मोन का स्राव होता है।
भावनाएं शरीर को 5 तरीके से कंट्रोल करती हैं
जब भावनाएं मस्तिष्क में उत्पन्न होती हैं, तो वे तंत्रिका तंत्र और हार्मोनल सिस्टम के माध्यम से पूरे शरीर को 5 तरीके से प्रभावित करती हैं।
1. Heart (दिल)-
इमोशंस सीधे हार्ट रेट बदलते हैं। डर → हार्टबीट बढ़, गुस्सा → हार्टबीट और BP दोनों ऊपर, प्यार/शांति → हार्टबीट स्थिर इसीलिए कहा गया है- “दिल की सुनो—क्योंकि दिल पहले रिएक्ट करता है।” तनाव या गुस्से जैसी भावनाएं कार्डियक रिदम को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
2. Breath (सांस)-
भावनाएं आपकी सांस को कंट्रोल करती हैं। चिंता → तेज़ सांस, दुख → भारी सांस, गुस्सा → गर्म सांस, खुशी → हल्की गहरी सांस। सांस = इमोशन का रिमोट कंट्रोल। क्रोध, डर या घबराहट के दौरान सांस की गति तेज हो जाती है, जिससे ऑक्सीजन जल्दी शरीर में पहुंचती है लेकिन लंबे समय तक रहने पर यह शरीर को बीमार कर सकता है।
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3. Muscles (मांसपेशियां)-
हर इमोशन की अपनी पकड़ होती है: स्ट्रेस → गर्दन और कंधे जकड़ना, गुस्सा → मुट्ठी कसना, डर → पूरा शरीर जम जाना, चिंता → पेट सिकुड़ना। इसलिए कई लोग कहते हैं: तनाव शरीर में जमा हो जाता है क्योंकि यह सच है।
4. Gut (पेट)-
आपकी आंतें दिमाग से भी ज्यादा संवेदनशील हैं। इन्हें कहते हैं “Second Brain”, डर → पेट में दर्द। तनाव → एसिडिटी
चिंता → भूख खत्म, उदासी → भूख बढ़ जाना। इमोशंस का सबसे बड़ा प्रहार पेट पर पड़ता है। चिंता और तनाव से पाचन खराब होता है क्योंकि शरीर में रक्त प्रवाह दिमाग और मांसपेशियों की ओर बढ़ जाता है, जिससे पेट की कमजोरी होती है।
5. Immune System (प्रतिरोधक क्षमता)-
लंबे समय का तनाव शरीर को बीमार कर देता है: बार-बार सर्दी, शरीर दर्द, थकान, नींद खराब, पाचन खराब। क्योंकि जब इमोशन हाई हों, शरीर हील नहीं कर सकता। पुरानी नकारात्मक भावनाएं इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती हैं, जिससे हम में बीमार पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है।

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क्यों इमोशंस “ऑटोमेटिक” होते हैं?
आपका दिमाग और शरीर हमेशा आपकी रक्षा कर रहे होते हैं। शरीर खतरे को पहले पहचानता है, फिर दिमाग को सिग्नल भेजता है। दिमाग आपके शरीर के हिसाब से सोचता है यानी: Body → Brain → Emotion (न कि Brain → Body), इमोशन नियंत्रण नहीं है-
यह सुरक्षा है। समस्या तब है जब…शरीर हर छोटी बात को खतरा मानने लगता है।
मान लीजिए अचानक बाहर कोई ज़ोर की आवाज़ आई…आपका शरीर तुरंत: हार्टबीट बढ़ा देगा, मांसपेशियों को टाइट कर देगा, पसीना ला देगा और यह सब बिना आपकी अनुमति के होगा। क्योंकि शरीर को बचाव करना है। वह सोचने का इंतजार नहीं कर सकता। इसीलिए आपका Nervous System दो भागों में काम करता है—
1. लड़ो या भागो रिस्पांस: इमोशंस का शरीर नियंत्रण
जब कोई व्यक्ति भयावह या तनावपूर्ण स्थिति में होता है, तो उसका शरीर ‘Fight-or-Flight’ रिस्पांस सक्रिय हो जाता है। ये तब एक्टिव होता है जब आप डरते, चिंतित या तनाव में होते हैं। यह आपके शरीर का “इमरजेंसी मोड” है। यही कारण है कि चिंता या गुस्से में आप “सोच” नहीं पाते। क्योंकि शरीर ने दिमाग को “हट” कर दिया है। इस समय बॉडी ही बॉस होता है।
इसमें शरीर लड़ने या भागने के लिए तैयार हो जाता है। इस दौरान एंड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन तेजी से स्रावित होते हैं, जो मांसपेशियों में रक्त प्रवाह बढ़ाते हैं और शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं। इस प्रक्रिया में हृदय गति बढ़ती है, आँखें चौड़ी होती हैं, और निर्णय लेने की क्षमता तीव्र होती है। जब यह प्रतिक्रिया लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है।
2. आराम और हीलिंग मोड वाला तंत्र- Rest और Relax मोड
आराम और हीलिंग मोड वाला तंत्र आपके शरीर का हीलिंग सिस्टम है। यह वही मोड है जिसमें आपका शरीर आराम करता है, ठीक होता है, ऊर्जा बचाता है और खुद को रिपेयर करता है। जब यह सिस्टम एक्टिव होता है, तो शरीर में ये बड़े बदलाव आते हैं:
- 1. दिल की धड़कन सामान्य और स्थिर हो जाती है
- 2. सांस गहरी और धीमी हो जाती है
- 3. पाचन (Digestion) सुधारता है — शरीर खाना सही से पचाता है
- 4. दिमाग में शांति और साफ़ सोच आती है
- 5. मांसपेशियाँ ढीली पड़ती हैं — शरीर रिलैक्स महसूस करता है
- 6. शरीर सेल स्तर पर Repair Mode में आ जाता है
सरल शब्दों में लड़ो या भागो रिस्पांस (Sympathetic System) आपको बचाता है और आराम और हीलिंग मोड वाला तंत्र (Parasympathetic System) आपको ठीक करता है।
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इमोशंस के शरीर में फंसे रहने के परिणाम
कई बार जब हम किसी दर्दनाक या तनावपूर्ण भावनात्मक अनुभव को पूरी तरह से व्यक्त या रिलीज नहीं कर पाते, तो ये भावनाएं शरीर में ‘फंसी हुई’ तनाव की तरह जमा हो जाती हैं। ये जमा हुई भावनाएं शारीरिक और मानसिक बीमारियों का कारण बन सकती हैं, जैसे:
- मांसपेशियों में कठोरता और दर्द
- माइग्रेन और सिरदर्द
- कब्जियत और अन्य पाचन विकार
- नींद की गड़बड़ी
- लंबे समय तक तनाव से कैंसर सहित अन्य रोगों का खतरा
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इमोशंस पर नियंत्रण पाने के लिए सबसे पहले अपने भावनात्मक अनुभवों को समझना जरूरी है। माइंडफुलनेस और स्वयं की जागरूकता की तकनीकें हमे भावनाओं के साथ सही ढंग से निपटने में मदद करती हैं। इमोशन को “रोक” नहीं सकते। लेकिन इमोशन को “रेगुलेट” कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण तरीके निम्न हो सकते हैं:
1. Deep Belly Breathing (गहरी सांस)
सिर्फ 10 गहरी सांसें Sympathetic Mode बंद कर देती हैं। क्योंकि शरीर को लगता है: “अब खतरा नहीं है।” इसलिए ऐसी परिस्थितियों में लम्बी लम्बी गहरी साँस लेनी और छोड़नी चाहिए।
2. Grounding Technique (जमीन से जुड़ना)
असामान्य स्थितियों में अपने पैरों को ज़मीन पर जोर से टिकाएं, शरीर का भार महसूस करें, हाथ किसी ठंडी चीज़ पर रखें। यह शरीर को सुरक्षा का संकेत देता है।
3. Slow Movements (धीमी चाल)
जब आप धीरे चलते हैं, शरीर समझता है: “मैं सुरक्षित हूँ। कोई खतरा नहीं।” आराम से टहलने वाली मुद्रा में चलें।
4. Self-Touch (आत्म स्पर्श सुख)
खुद को स्पर्श करने या हाथ फिराने से भावनाओं पर नियंत्रण होता है। हाथों को दिल पर, पेट पर, कंधे पर ले जाने से यह शरीर को सुरक्षा और गर्माहट देता है।
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5. वेगस तंत्रिका (पाचन तंत्र की मुख्य तंत्रिका) को एक्टिव करना
इस नर्वस को एक्टिव करने के लिए गाना गाना, गुनगुनाना, ठंडा पानी मुंह में भरना, हमिंग (hmmmmm) करना आदि गतिविधियां की जा सकती हैं। यह शरीर को तुरंत रिलैक्स करता है।
6. Somatic Awareness (शरीर को महसूस करना)
यह सबसे गहरा तरीका है। महसूस करें – पेट भारी है? कंधे जकड़े हैं? दिल तेज़ है? या जबड़ा टाइट है? जब आप अपने शरीर को observe करते हैं तो इमोशन अपना असर खो देते हैं। और सब सामान्य होने लगता है।
निष्कर्ष
जब इमोशन आपको हाईजैक कर लेते हैं या चला रहे होते हैं, तो बहुत बार गुस्से में गलत शब्द निकल जाते हैं, डर में समझ नहीं आता क्या करें, चिंता में शरीर कांपने लगता है, पैनिक में सांस रुकने लगती है यह आपकी गलती नहीं है, यह शरीर की सुरक्षा प्रणाली है।
इमोशंस शरीर को इसलिए कंट्रोल करते हैं क्योंकि शरीर ही असली गार्ड है। इमोशंस का शरीर पर नियंत्रण होना कमजोरी नहीं, बल्कि शरीर की इंटेलिजेंस है। जब आप अपने शरीर के साथ युद्ध बंद कर देते हैं और उससे दोस्ती कर लेते हैं— तो आपका Nervous System शांत हो जाता है। और भावनाएं आपके खिलाफ नहीं,आपके साथ काम करने लगती हैं।
अपने इमोशंस को समझना और उन्हें शांत करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए जरुरी है।
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