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आज के युवा क्यों भटक रहे हैं ? एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

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Today's youth are going astray due to social media addiction, drug abuse and career instability.
आज के युवाओं को देखकर अक्सर यह सवाल उठता है कि वे किस दिशा में जा रहे हैं ?  माता-पिता, शिक्षक और समाज के अन्य वर्ग चिंतित हैं कि युवा गलत राह पर जा रहे हैं, नशे, सोशल मीडिया की लत, मानसिक अस्थिरता, और करियर की अनिश्चितता के कारण युवा वर्ग में बड़ा बदलाव दिख रहा है जो उनके भविष्य को अन्धकार में धकेल सकता है।

ये तो तय है कि जिन युवाओ की संकल्प शक्ति कमजोर होती है वो बडी ही आसानी से अपने राह से भटक जाते है। उनको समझ ही नही आता की उनके राह मे जो चुनौतिया आयी है उनसे किस प्रकार से निबटा जाए । वो हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाते है साथ ही कुछ ऐसे भी युवा है, जो अपनी दुनिया मे मस्त है उनको नही पता है की उनका भविष्य क्या होने वाला है, आगे की जिन्दगी बिताने के लिए उनको क्या मुश्किलें आएँगी इसकी भी उन्हे खबर नही है। आज हमारे आस-पास के समाज मे हर तरफ बुराइयों और कमजोरियों का ऐसा कुचक्र नज़र आता है जिसने युवा फंस कर रह गए है। ये हमारे युवा देश का दुर्भाग्य है कि हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पा रहे हैं।

यह विषय केवल नैतिकता का नहीं, बल्कि एक गहरा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण मांगता है। इस लेख में, हम युवाओं के भटकाव के कारणों को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे।

युवाओं के भटकाव के प्रमुख कारण


1. परिवारिक दबाव और उम्मीदों का बोझ

युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे पहला प्रभाव उनके परिवार का पड़ता है। माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाएं, समाज की तुलना और परफॉर्मेंस प्रेशर युवाओं में तनाव और चिंता का कारण बनते हैं। कई बार वे अपने माता-पिता की इच्छाओं को पूरा करने के चक्कर में अपनी वास्तविक पसंद को दबा देते हैं, जिससे वे अंदर से खाली महसूस करने लगते हैं और अपनी पहचान खोजने के लिए गलत रास्ते अपनाते हैं।

https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/voices/rise-of-depression-amongst-young-adults-in-india/ इस लेख में बताया गया है कि भारत में युवाओं में अवसाद के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं

इसके अलावा, UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 14% युवा अक्सर अवसाद महसूस करते हैं या किसी भी गतिविधि में रुचि नहीं लेते हैं। Indiatimes

यह स्थिति चिंताजनक है और इस पर जागरूकता बढ़ाने, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार करने और सामाजिक कलंक को कम करने की आवश्यकता है।

2. सोशल मीडिया का प्रभाव

सोशल मीडिया युवाओं के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। यह न केवल उनके सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि आत्मसम्मान की भावना को भी प्रभावित करता है।

इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट और अन्य प्लेटफार्मों पर लोग अपनी जिंदगी का ‘संपादित संस्करण’ प्रस्तुत करते हैं, जिससे युवा अपनी असल जिंदगी की तुलना इन काल्पनिक और चमकदार जीवनशैली से करने लगते हैं। यह उन्हें अवसाद और आत्म-संदेह की ओर धकेल सकता है।

सोशल मीडिया पर उपस्थिति के आंकड़े यदि देखें तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी –

-जनवरी 2024 तक भारत में 462 मिलियन सोशल मीडिया उपयोगकर्ता थे, जो कुल जनसंख्या का 32.2% है।
https://datareportal.com/reports/digital-2024-india
-दैनिक उपयोग: औसत भारतीय प्रतिदिन लगभग 2 घंटे 30 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है।

https://soax-com.translate.goog/research/time-spent-on-social-media/

3. करियर और भविष्य को लेकर अनिश्चितता

21वीं सदी में करियर के नए विकल्पों के बावजूद, युवा असमंजस की स्थिति में हैं। परंपरागत करियर (डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी नौकरी) के अलावा नए करियर विकल्प (डिजिटल मार्केटिंग, कंटेंट क्रिएशन, स्टार्टअप्स) उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें स्थिरता की कमी और सामाजिक स्वीकार्यता का अभाव उन्हें भ्रमित कर देता है। यह अनिश्चितता मानसिक तनाव को बढ़ाती है और वे किसी भी रास्ते को चुनने में असमर्थ हो जाते हैं।

-युवा बेरोजगारी दर: 2023-24 में-  15-29 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए भारत में बेरोजगारी दर 10.2% थी, जो वैश्विक स्तर से कम है https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2076956


4. मनोवैज्ञानिक समस्याएं और अवसाद

डिप्रेशन, एंग्जायटी, और अन्य मानसिक बीमारियां आज के युवाओं में तेजी से बढ़ रही हैं। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी समाज में इसे लेकर खुलकर चर्चा नहीं होती। युवा अपनी समस्याओं को दबाए रखते हैं, जिससे वे नशे, इंटरनेट एडिक्शन या आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठा सकते हैं।

युवाओं में अवसाद: 2021 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 15-24 वर्ष की आयु के लगभग 14% युवाओं ने अक्सर उदासी या निराशा महसूस करने की सूचना दी।

https://mindvoyage.in/depression-in-india-latest-statistics/

5. खराब संगति और गलत आदतें

युवाओं के भटकने में संगति का बहुत बड़ा योगदान होता है। नशे, अपराध, और अन्य बुरी आदतों में फंसने का एक प्रमुख कारण साथियों का दबाव (peer pressure) है। वे खुद को दूसरों की तरह दिखाने के लिए ऐसी चीजों में लिप्त हो जाते हैं, जो बाद में उनके जीवन को बर्बाद कर सकती हैं।

वैश्विक रैंकिंग: 2023 में, भारत पोर्नोग्राफी देखने वाले देशों में तीसरे स्थान पर था।  https://www.insidermonkey.com/blog/top-30-most-porn-watching-countries-in-the-world-in-2023-india-ranks-3rd-1231363/


6. संस्कार और नैतिक मूल्यों में गिरावट

आज का समाज भौतिकतावाद और उपभोक्तावाद की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पारिवारिक और नैतिक मूल्यों में गिरावट आई है, जिससे युवाओं को सही और गलत में अंतर करने में कठिनाई होती है। जब वे नैतिक दिशा-निर्देशों से दूर हो जाते हैं, तो उनका मन गलत रास्तों की ओर आकर्षित होने लगता है। धर्म में युवाओं की रूचि घटती देखी गयी है, नास्तिकता का चलन बढ़ने लगा है | 


7. आधुनिकता का गलत अर्थ:

आधुनिकता का मतलब नवीनतम तकनीक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, और फैशन का अनुसरण करना नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है कि युवाओं को अपनी जड़ों से दूर नहीं होना चाहिए. अध्यात्म से दूरी, आप किसी भी धर्म के हों यह बहुत ज़रूरी है कि ईश्वर के करीब रहें। आजकल नास्तिक होना चलन में है जिसकी वजह से हम अकेलेपन से जूझते हैं और बहुत सी बुरी आदतों में फंस कर अपने रास्तों से भटक जाते हैं।

पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स पर युवाओं की उपस्थिति चिंताजनक है –
उपयोग का प्रतिशत: 2019 में, भारत में 89% लोग मोबाइल उपकरणों के माध्यम से पोर्न देखते थे।  https://indianewengland.com/india-leads-porn-consumption-on-smartphones-as-89-percent-indian-watch/

युवाओं के भटकाव को रोकने के उपाय


1. माता-पिता का सहयोग और समझ

माता-पिता को अपने बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालने के बजाय उनकी पसंद, रुचि और मानसिक स्थिति को समझना चाहिए। खुले संवाद से वे अपने बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं। युवाओं को सही दिशा दिखने और भटकाव से रोकने में परिवार की सबसे अहम् भूमिका होती है, जो बच्चे परिवार में अलगाव, झगड़े, नशा या अनुशासन हीनता देखते है उनके बिगड़ने की उम्मीद ज्यादा होती है। 


2. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान

युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना जरूरी है। स्कूल और कॉलेज स्तर पर काउंसलिंग सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकें और सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। पेरेंट्स को भी बच्चों की भावनाओं को समझना और उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए। 


3. सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग

सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बचने के लिए डिजिटल डिटॉक्स और स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, युवाओं को असली जीवन में सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। प्रतिदिन खेल कूद की गतिविधियों या टहलने की आदत के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। परिवार में कुछ समय ऐसा बनाना चाहिए जब सभी लोग बिना मोबाइल/टीवी के साथ बैठ कर बात करें। 


4. करियर काउंसलिंग और मार्गदर्शन

युवाओं को करियर विकल्पों की जानकारी देना और उनके हितों के अनुसार सही मार्गदर्शन करना आवश्यक है। उन्हें पारंपरिक करियर विकल्पों के अलावा नए और उभरते क्षेत्रों की जानकारी दी जानी चाहिए। ऑनलाइन के इस युग में विकल्पों की भरमार है, उन्हें ऑनलाइन कोर्सेज करने और जानकारी बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 


5. अच्छी संगति और सकारात्मक वातावरण

सही मित्रों का चुनाव करना और सकारात्मक संगति में रहना बेहद जरूरी है। युवाओं को अच्छे रोल मॉडल्स और मेंटर्स की आवश्यकता होती है, जो उन्हें सही दिशा में प्रेरित कर सकें। टीचर्स और पेरेंट्स को बच्चों की संगति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। 


6. योग और ध्यान

मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर और आजमाया नुस्खा है योग और मैडिटेशन का। योग और ध्यान जैसी प्राचीन पद्धतियां युवाओं को मानसिक शांति प्रदान कर सकती हैं। नियमित ध्यान और व्यायाम से वे अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं। “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है”

 निष्कर्ष;

युवाओं का भटकाव केवल उनकी गलती नहीं है, बल्कि समाज, परिवार, और बदलती जीवनशैली का संयुक्त परिणाम है। सही मार्गदर्शन, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान, सकारात्मक वातावरण और आत्म-जागरूकता के माध्यम से युवाओं को सही दिशा दी जा सकती है। यदि हम समाज के स्तर पर इन समस्याओं को पहचानें और सुधार की दिशा में कदम उठाएं, तो युवा अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगा सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। इसमें टीचर्स और पेरेंट्स की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। 

Internal Link; किसी से अपनी बात मनवाने की 3 साइकोलॉजिकल ट्रिक्स

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External Link; https://www.awgp.org/en/literature/book/yuva_kranti_path/v1.7

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