Couples Therapy: रिश्तों को बचाने का साइंटिफिक तरीका
Couples Therapy एक इलाज नहीं, बल्कि एक अभ्यास (process) है – जहां कपल्स अपने पुराने जख्मों को समझते हैं, व्यवहारिक आदतों को सुधारते हैं और एक नए, स्वस्थ रिश्ते की नींव रखते हैं।
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Couples Therapy एक इलाज नहीं, बल्कि एक अभ्यास (process) है – जहां कपल्स अपने पुराने जख्मों को समझते हैं, व्यवहारिक आदतों को सुधारते हैं और एक नए, स्वस्थ रिश्ते की नींव रखते हैं।
Self-Sabotage को हराना कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं, एक अभ्यास है। हर दिन जब आप खुद को थोड़ा बेहतर समझते हैं, और थोड़ा आगे बढ़ते हैं तभी आप खुद को रोकने की बजाय को उठाना शुरू करते हैं। अपने ही दुश्मन मत बनो — अपने सबसे अच्छे साथी बनो।
“मुझे सब कुछ मिलना चाहिए” — यह सोच जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही खतरनाक भी है। यह व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है। यदि हम एक संतुलित और सफल जीवन चाहते हैं, तो हमें अधिकार की नहीं, जिम्मेदारी की भावना को अपनाना होगा।
भारत में मोटापा तेजी से एक नई महामारी के रूप में उभर रहा है। जानिए इसके पीछे के कारण, डराने वाले आंकड़े, और इससे निपटने के लिए जरूरी कदम – इस तथ्यपूर्ण और चेतावनी भरे ब्लॉग में।
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे अंदर सच में कितने “आप” होते हैं? हमारा स्वयं (सेल्फ) एक जैसा और स्थिर नहीं होता। अलग-अलग परिस्थितियों, लोगों और भूमिकाओं में हमारा व्यवहार, विचार और भावनाएँ बदल जाती हैं। यही सेल्फ-प्लुरलिज़्म, सेल्फ-कॉम्प्लेक्सिटी और सेल्फ-कॉन्सेप्ट डिफरेंशिएशन की अवधारणाएँ हैं—जो हमें बताती हैं कि हमारे अंदर कई स्व होते हैं, जो हर माहौल में अलग-अलग रूप में दिखाई देते हैं। आइए, जानते हैं कि हमारे अंदर कितने “आप” हैं और ये कैसे हमारे व्यक्तित्व को बनाते हैं।
भागदौड़ भरी जिंदगी और पैसे की होड़ ने हमारे पारिवारिक रिश्तों को गहराई से प्रभावित किया है। ओल्ड एज होम्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो समाज में बदलते मूल्यों और जनरेशन गैप की एक बड़ी तस्वीर पेश करती है।
किसी के मन को पढ़ना कोई जादू नहीं, बल्कि एक कला है जो सूक्ष्म संकेतों, हावभाव, बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार को ध्यान से देखने पर आधारित है। यह कला आपके निजी और प्रोफेशनल जीवन दोनों में बेहद मददगार हो सकती है।
अकेले रहना या “सिंगल रहना” अब एक फैशन और स्वतंत्रता की निशानी बन गया है। यह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा ट्रेंड है जो बेहद चिंताजनक है। शादी का “दौर” खत्म नहीं होना चाहिए, बल्कि उसका अंदाज़ और उद्देश्य बदलना चाहिए।
सोच बदलो तो जिंदगी कैसे बदल जाएगी ! इस ब्लॉग में हम जानेंगें पॉजिटिव माइंडसेट के बारे में, और हम अपनी सोच को आसान और प्रैक्टिकल तरीकों से कैसे बदल सकते हैं इसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे।
क्या सच में प्यार अंधा होता है? जानिए मनोविज्ञान के नजरिए से प्यार और तर्क के बीच संतुलन कैसे बनता है। प्यार में भावनाओं और तर्क का क्या रोल होता है? पढ़ें पूरा विश्लेषण।