आप जानते हैं- दिमाग कितने प्रकार के होते हैं?
हमारा दिमाग शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हर इंसान के सोचने का तरीका अनोखा होता है। अपने दिमाग के प्रकार को पहचानना आत्म-विकास की दिशा में पहला क़दम है।
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Skip to contentइस कैटेगरी में पाएँ ऐसे मनोवैज्ञानिक टिप्स जो आपके सोचने, निर्णय लेने और जीवन जीने के तरीके को बेहतर बनाते हैं।
हमारा दिमाग शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हर इंसान के सोचने का तरीका अनोखा होता है। अपने दिमाग के प्रकार को पहचानना आत्म-विकास की दिशा में पहला क़दम है।
मौन उदासी उस छुपी हुई मानसिक स्थिति का नाम है, जिसमें व्यक्ति खुद भी नहीं समझ पाता कि वह अंदर ही अंदर टूट रहा है। एक चुपचाप बढ़ता मानसिक संघर्ष जो शब्दों में नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे इंसान को भीतर से खोखला कर देता है। इस लेख में इसके कारण और बचाव के तरीके जानें।
गुस्सा एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन जब यह बार-बार या अत्यधिक आने लगे, तो यह मानसिक, शारीरिक और सामाजिक समस्याओं का कारण बन सकता है। गुस्से को समझना, स्वीकारना और सही तरीके से व्यक्त करना ही संतुलित जीवन की कुंजी है।
Couples Therapy एक इलाज नहीं, बल्कि एक अभ्यास (process) है – जहां कपल्स अपने पुराने जख्मों को समझते हैं, व्यवहारिक आदतों को सुधारते हैं और एक नए, स्वस्थ रिश्ते की नींव रखते हैं।
Self-Sabotage को हराना कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं, एक अभ्यास है। हर दिन जब आप खुद को थोड़ा बेहतर समझते हैं, और थोड़ा आगे बढ़ते हैं तभी आप खुद को रोकने की बजाय को उठाना शुरू करते हैं। अपने ही दुश्मन मत बनो — अपने सबसे अच्छे साथी बनो।
“मुझे सब कुछ मिलना चाहिए” — यह सोच जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही खतरनाक भी है। यह व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है। यदि हम एक संतुलित और सफल जीवन चाहते हैं, तो हमें अधिकार की नहीं, जिम्मेदारी की भावना को अपनाना होगा।
फोबिया क्या होता है? इसके प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं और ये हमारे मन व शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं? इस ब्लॉग में जानें लक्षण, कारण और समाधान।
“क्या हम दिमाग का सिर्फ 10% इस्तेमाल करते हैं? क्या बाएं-brain वाले लोग ही तर्कशील होते हैं? इस ब्लॉग में जानिए ऐसे 12 पॉपुलर माइंड मिथकों की सच्चाई, जो आपने अब तक सच माने थे – और जानिए दिमाग के पीछे की असली साइंस।”
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे अंदर सच में कितने “आप” होते हैं? हमारा स्वयं (सेल्फ) एक जैसा और स्थिर नहीं होता। अलग-अलग परिस्थितियों, लोगों और भूमिकाओं में हमारा व्यवहार, विचार और भावनाएँ बदल जाती हैं। यही सेल्फ-प्लुरलिज़्म, सेल्फ-कॉम्प्लेक्सिटी और सेल्फ-कॉन्सेप्ट डिफरेंशिएशन की अवधारणाएँ हैं—जो हमें बताती हैं कि हमारे अंदर कई स्व होते हैं, जो हर माहौल में अलग-अलग रूप में दिखाई देते हैं। आइए, जानते हैं कि हमारे अंदर कितने “आप” हैं और ये कैसे हमारे व्यक्तित्व को बनाते हैं।
हमारे विचार केवल हमारे मानसिक अनुभव ही नहीं बनाते, बल्कि वे हमारे शरीर की सेहत पर भी गहरा असर डालते हैं। नकारात्मक सोच और लगातार तनाव से शरीर में कई प्रकार की बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं, जबकि सकारात्मक सोच और मानसिक शांति से स्वास्थ्य बेहतर होता है।