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शरीर और मन का विज्ञानं

मनोविज्ञान में मन के साथ साथ शरीर भी सामान रूप से प्रभावित होता है इसलिए एक उपचार से दोनों को आराम मिल जाता है

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दिमाग से जुड़े 20 पॉपुलर लेकिन झूठे विश्वास

“क्या हम दिमाग का सिर्फ 10% इस्तेमाल करते हैं? क्या बाएं-brain वाले लोग ही तर्कशील होते हैं? इस ब्लॉग में जानिए ऐसे 12 पॉपुलर माइंड मिथकों की सच्चाई, जो आपने अब तक सच माने थे – और जानिए दिमाग के पीछे की असली साइंस।”

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आपके विचार शरीर को बीमार कर रहे हैं-साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर

हमारे विचार केवल हमारे मानसिक अनुभव ही नहीं बनाते, बल्कि वे हमारे शरीर की सेहत पर भी गहरा असर डालते हैं। नकारात्मक सोच और लगातार तनाव से शरीर में कई प्रकार की बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं, जबकि सकारात्मक सोच और मानसिक शांति से स्वास्थ्य बेहतर होता है।

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हर घंटे 1 मिनट दो : हेल्दी लाइफ की गारंटी लो

हर घंटे 1 मिनट अपने लिए निकालना न सिर्फ आपकी सेहत को बेहतर करेगा, बल्कि आपकी उम्र भी बढ़ा सकता है। यह आदत धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव लाएगी, जिससे आप न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतर महसूस करेंगे।

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social rejection = physical pain
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दिल टूटे या पैर, दिमाग दोनों को एक जैसा महसूस करता है

क्या दिल टूटने का दर्द वाकई असली होता है? न्यूरोसाइंस कहता है – हां! आपका दिमाग ब्रेकअप या भावनात्मक चोट को उसी तरह महसूस करता है जैसे किसी फिजिकल इंजरी को। जानिए इसका मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक कारण।

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man padhna seekho
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मन पढ़ना सीखिए: सामने बैठे व्यक्ति को पहचानने की 20 टिप्स

किसी के मन को पढ़ना कोई जादू नहीं, बल्कि एक कला है जो सूक्ष्म संकेतों, हावभाव, बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार को ध्यान से देखने पर आधारित है। यह कला आपके निजी और प्रोफेशनल जीवन दोनों में बेहद मददगार हो सकती है।

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क्या प्यार अँधा होता है ?
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क्या प्यार सच में अंधा होता है ? मनोवैज्ञानिक नजरिया

क्या सच में प्यार अंधा होता है? जानिए मनोविज्ञान के नजरिए से प्यार और तर्क के बीच संतुलन कैसे बनता है। प्यार में भावनाओं और तर्क का क्या रोल होता है? पढ़ें पूरा विश्लेषण।

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भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति
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15 करोड़ लोग चुप क्यों हैं? भारत में मानसिक स्वास्थ्य

मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी सिर्फ मेडिकल समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की कमी है। जब तक हम इस कलंक को नहीं तोड़ते और मानसिक स्वास्थ्य को सामान्य स्वास्थ्य का हिस्सा नहीं मानते, तब तक समाज का मानसिक रूप से स्वस्थ होना मुश्किल है। इसके लिए लेख में बताये गए बिंदुओं पर पहल करनी होगी।

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"beauty burnout and social media pressure on mental health"
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ब्यूटी बर्नआउट: सौंदर्य की दौड़ में थकते लोग

“हर वक्त परफेक्ट दिखने की होड़ में हम कब थक जाते हैं, पता ही नहीं चलता। सोशल मीडिया, समाज और अपने ही बनाये हुए मापदंड – ये सब मिलकर एक ऐसा प्रेशर बनाते हैं जो अंदर ही अंदर हमें जला देता है। इस ब्लॉग में जानिए ‘Beauty Burnout’ क्या है, क्यों होता है और इससे बाहर कैसे निकलें।”

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Illustration of a happy face on the outside, but a cracked and crying face within, showing hidden emotional pain.
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लोग बाहर से खुश लेकिन अंदर से टूटे हुए क्यों हैं ?

सोशल मीडिया पर लोग मुस्कुराते क्यों दिखते हैं, जबकि अंदर से टूटे हुए होते हैं? जानिए इसके पीछे के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक कारण।

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A person overwhelmed by consuming junk information, symbolized by fast food made of news articles, social media posts, and random data.
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नॉलेज से पेट मत भरिए — इन्फॉर्मेशन डायटिंग कीजिए !

हर दिन ढेर सारी जानकारी लेने से आपका दिमाग थक रहा है। जानिए Information Diet क्या है और यह आपके फोकस, मानसिक स्वास्थ्य और प्रोडक्टिविटी को कैसे बेहतर बना सकता है।

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