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मोटापा: भारत की अगली महामारी तो नहीं है ?

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मोटापा : भारत की अगली महामारी

मोटापा अब व्यक्तिगत नहीं, राष्ट्रीय समस्या बन गया है — एक ऐसी “महामारी” जिसकी शुरुआत रसोई से होती है, पर असर जीवन की लंबाई और गुणवत्ता पर होता है।

क्या आप जानते हैं कि भारत अब सिर्फ कुपोषण से नहीं, अति-पोषण और मोटापे की महामारी से भी जूझ रहा है?
World Obesity Federation की रिपोर्ट (2023) के अनुसार,
> भारत में 2035 तक मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या 27 करोड़ तक पहुंच सकती है।

यह ब्लॉग इसी आने वाली महामारी के पीछे छिपे कारणों, डरावने आंकड़ों, और समाधान के रास्तों को विस्तार से समझाएगा।

मोटापे पर आंकड़े क्या कहते हैं 

भारत में मोटापा अब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। पिछले 30 वर्षों में देश में अधिक वजन और मोटापे के मामलों में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है—1990 में 5.3 करोड़ से बढ़कर 2021 में 23.6 करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। यदि यही रफ्तार जारी रही तो 2050 तक यह संख्या 52 करोड़ से भी अधिक हो सकती है।

https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/obesity-and-overweight
अब यह कोई सौंदर्य या फिटनेस की समस्या नहीं रही — यह अब एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा है, जो हृदय रोग, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि कैंसर जैसे रोगों को जन्म दे रही है। शहरी भारत में तो स्थिति और भी गंभीर है —

 हर 3 में से 1 वयस्क मोटापे या ओवरवेट की श्रेणी में है (NFHS-5, 2021) और बच्चों में मोटापे की दर पिछले 10 वर्षों में दोगुनी हो गई है।

–  NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष के 24% महिलाएँ और 22.9% पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, यानी कुल मिलाकर लगभग 1/3 वयस्क इस श्रेणी में आते हैं।

– 40% महिलाएं और 12% पुरुषों में पेट के आसपास मोटापा (abdominal obesity) पाया गया है
–  5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मोटापा NFHS-4 (2015-16) में 2.1% था, जो NFHS-5 (2019-21) में बढ़कर 3.4% हो गया है। यह लगभग 60% की वृद्धि है, यानी दर लगभग दोगुनी हो गई है।

   5 से 19 वर्ष के बच्चों में भी करीब 1 करोड़ मोटापे के शिकार हैं| 

-₹2.8 लाख करोड़ (~US $35 बिलियन) सालाना भारत में मोटापे व अधिक वजन से जुड़ी बीमारियों के इलाज और अप्रत्यक्ष खर्च में खर्च हो रहे हैं — यानी लगभग 1% भारत की GDP https://timesofindia.indiatimes.com/india/obesity-costs-india-rs-2-8-lakh-crore-a-year-over-1-of-gdp-study/articleshow/94442458.cms

-2019 में ही यह लागत ₹2.4 लाख करोड़ थी (US $28.95 बिलियन), और 2030 तक यह बढ़कर ₹6.7 लाख करोड़ तक पहुंच सकती है (US $81.5 बिलियन)

मोटापे के प्रमुख कारण 

1. बदलता भोजन: ‘हम जो खाते हैं, वही बनते हैं’

जैसे-जैसे फास्ट फूड, प्रोसेस्ड आइटम्स और मीठे पेय हमारी थाली में बढ़े हैं, वैसे-वैसे हमारी सेहत गिरती गई है।
कम पोषण और ज़्यादा कैलोरी वाला खाना हमारे शरीर में फैट बढ़ाता है, मेटाबोलिज्म बिगाड़ता है और बीमारियों का घर बनाता है।

भारत में प्रोसेस्ड और फास्ट फूड मार्केट ₹4.2 लाख करोड़ (2023) के पार जा चुका है।
शक्कर युक्त पेय (soft drinks), पैकेज्ड स्नैक्स और बाहर का तला-भुना खाना रोज़ का हिस्सा बन गए हैं। स्कूल-कॉलेज से लेकर दफ्तर तक, भोजन का मतलब बन गया है – तेल, शक्कर और नमक से भरा junk food।

 Impact: यह भोजन कैलोरी तो देता है, लेकिन पोषण नहीं — जिससे शरीर में फैट जमा होता है और मेटाबोलिज्म बिगड़ता है।

2. कम होती शारीरिक गतिविधि: चलना भी मेहनत लगने लगा है

WHO की रिपोर्ट (2022): भारत में लगभग 34% वयस्क “शारीरिक रूप से निष्क्रिय” हैं।
शहरी जीवनशैली में 60% से ज़्यादा लोग दिन का ज़्यादातर समय बैठकर बिताते हैं (काम + स्क्रीन)।
बच्चों में तो स्थिति और भयावह है —
> 5 में से 3 शहरी बच्चे दैनिक 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि भी नहीं करते (ICMR 2022)।

 Impact: कम ऊर्जा खर्च और अधिक कैलोरी सेवन = तेजी से मोटापा बढ़ना।

3. नींद की कमी और मानसिक तनाव: छिपे हुए कारण

भारत में 60% लोग रोज़ाना 6 घंटे से कम नींद लेते हैं (Wakefit Sleep Survey 2023)।
Cortisol (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ने से शरीर में फैट जमा होने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
लगभग 40% मोटे लोग इमोशनल ईटिंग के शिकार होते हैं — यानी दुख, गुस्से या चिंता में ज़्यादा खाना।

 Impact: तनाव और नींद की गड़बड़ी सीधे मोटापे से जुड़ी हुई हैं — और यह साइकोसॉमैटिक चक्र बन जाता है।

4. आर्थिक स्थिति और सामाजिक व्यवहार

जैसे-जैसे आय बढ़ी, Ultra Processed Food की खपत में भी तेज़ी आई। एक अध्ययन (Tata Trust & NIN) बताता है:
> “शहरों में 70% लोग हफ्ते में कम से कम एक बार बाहर का खाना खाते हैं।”
बच्चों को ‘स्वस्थ’ दिखाने के चक्कर में अत्यधिक दूध, घी, चॉकलेट, तला खाना खिलाया जाता है। शहरी जीवनशैली में शारीरिक श्रम कम हो रहा है और हाई कैलोरी फूड्स तक आसान पहुंच बनी हुई है। 

 Impact: कम जागरूकता और सामाजिक प्रथाओं के कारण लोग धीरे-धीरे मोटापे को सामान्य मानने लगते हैं।

5. हेल्थकेयर पर बढ़ता बोझ

मोटापा अब केवल लक्षण नहीं, एक स्वतंत्र बीमारी (Obesity as a Disease) के रूप में घोषित किया गया है (American Medical Association)। ICMR के अनुमान अनुसार:
> भारत में डायबिटीज के 70% नए केस मोटापे से संबंधित हैं। दिल की बीमारियाँ, स्ट्रोक और यहां तक कि कुछ कैंसर भी मोटापे से जुड़े हैं।
 Impact:  2024 में भारत में स्वास्थ्य पर खर्च का लगभग 15% मोटापे से जुड़ी बीमारियों पर हो रहा है।

6. जागरूकता की कमी और गलत जानकारी

लोग आज भी वजन बढ़ने को ‘थोड़ी मोटाई’ समझ कर नजरअंदाज करते हैं। “डाइटिंग कर लेंगे,” “कभी तो एक्सरसाइज़ करेंगे” जैसे विचार समस्या को टालते हैं। तीज-त्योहार, पार्टियाँ, और “जरा और खाओ” जैसे जुमले अनजाने में ओवरईटिंग को बढ़ावा देते हैं।
नतीजा: जब समाज ही मोटापे को गंभीरता से नहीं लेता, तो जागरूकता कैसे बढ़े?

Weight-loss pills, crash diets, detox scams जैसे उपाय बिना जानकारी के अपनाए जाते हैं।

Impact: यह भ्रम मोटापे को एक साइलेंट किलर में बदल देता है, जिसकी पहचान देर से होती है।

7. जेनेटिक्स और मेडिकल कारण

अगर आपके माता-पिता या परिवार में अधिकतर लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आपकी genetic predisposition अधिक हो सकती है।

कुछ विशेष जीन, जैसे: FTO gene — खाने की इच्छा, भूख और ऊर्जा खर्च को प्रभावित करता है। MC4R gene mutations — मस्तिष्क में भूख को नियंत्रित करने वाली प्रणाली को प्रभावित करता है। लगभग 40-60% तक मोटापा आनुवंशिक तत्वों से प्रभावित हो सकता है, ऐसा कई रिसर्च में पाया गया है।

कुछ प्रमुख मेडिकल कारण जो मोटापा बढ़ा सकते हैं-

बीमारी / स्थितिकैसे असर डालती है
Hypothyroidism (थायरॉइड की कमी)मेटाबोलिज्म धीमा पड़ जाता है, जिससे वज़न बढ़ता है
PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम)महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और वज़न बढ़ना
Cushing’s SyndromeCortisol हार्मोन की अधिकता शरीर में फैट जमा करती है
Insulin Resistance / Diabetesशरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिससे फैट जमा होता है
Sleep Apneaनींद की गड़बड़ी मेटाबोलिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है

दवाओं से भी मोटापा हो सकता है: कुछ एंटी-डिप्रेसेंट्स, स्टेरॉयड, एंटी-साइकोटिक दवाएं- इनका साइड इफेक्ट वजन बढ़ना हो सकता है।

समाधान: महामारी को थामने के 5 जरूरी कदम

क्षेत्रक्या किया जाए
🧍 व्यक्तिगत• रोज़ाना 30–45 मिनट व्यायाम• संतुलित आहार• डिजिटल डिटॉक्स• नींद और तनाव पर नियंत्रण
🎓 शैक्षणिक• स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा• स्पोर्ट्स एक्टिविटी अनिवार्य• जंक फूड पर पाबंदी
🏛️ नीतिगत• जंक फूड पर टैक्स• न्यूट्रिशन लेबलिंग कानून• BMI जांच की अनिवार्यता
🧠 सामाजिक• हेल्दी लाइफस्टाइल को प्रोत्साहन• व्यवहार परिवर्तन अभियान• मोटापे को बीमारी समझना
📺 मीडिया• हेल्दी फूड को प्रमोट करना• इंस्टाग्राम-रील्स की फिटनेस फैंटेसी को चुनौती देना

मोटापे से बचने के लिए अपनाने योग्य Food Habits

 1. Portion Control (थाली का साइज घटाएं, न स्वाद)

  • छोटी प्लेट में खाना लें

  • “80% पेट भरने” के बाद खाना बंद करें

  • बार-बार खाने की बजाय दिन में 3 संतुलित मील + 1-2 हेल्दी स्नैक्स

 2. Whole Foods को प्राथमिकता दें

  • पैकेज्ड और प्रोसेस्ड चीज़ों के बजाय — ताजे फल, सब्जियां, दालें, साबुत अनाज, सलाद 

  • सफेद चावल और मैदे की जगह — ब्राउन राइस, ओट्स, बाजरा, जौ, दलिया, मक्का,

  • प्रोटीन स्रोत — अंडा, चिकन, मछली, दही, पनीर, टोफू, नट्स (बादाम, मूंगफली)

 3. पानी पीने की आदत सुधारें

  • खाने से 30 मिनट पहले एक गिलास पानी

  • कई बार भूख नहीं, प्यास होती है — इसलिए पहले पानी पिएं

  • मीठे पेयों (cold drinks, packaged juice) से दूर रहें

  • सूप, ग्रीन टी, छाछ जैसे तरल पदार्थ पियें

 4. खाने का टाइम फिक्स करें

  • रात का खाना 7:30–8:00 PM तक कर लें

  • बार-बार बिना भूख के कुछ चबाते रहना बंद करें

  • शरीर को “eating-window” देने से मेटाबोलिज्म सुधरता है (जैसे 12 घंटे का फूड ब्रेक: 8PM–8AM)

 5. शक्कर और ट्रांस-फैट से दूरी

  • शक्कर, चीनी वाले सीरियल्स, बिस्किट, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक से दूरी

  • डीप फ्राई और रिफाइंड ऑयल में बना खाना कम से कम

  • ट्रांस फैट्स (बेकरी, namkeens, street food) — मोटापा का बड़ा कारण

 6. Mindful Eating (ध्यान से खाना, स्क्रीन से नहीं)

  • टीवी या मोबाइल देखकर खाना = ओवरईटिंग

  • हर बाइट को महसूस करना = जल्दी पेट भरने का संकेत

  • भावनाओं में आकर न खाएं (emotional eating से बचें)

  • भोजन चबा-चबाकर और धीरे-धीरे खाएं
  • एकसाथ ज्यादा न खाएं, दिन में 3-4 बार हल्का भोजन लें

 7. नमक का कम सेवन करें

  • ज़्यादा नमक पानी रोके रखता है → वजन बढ़ाता है

  • प्रोसेस्ड फूड में छुपा हुआ सोडियम भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है

 8. घरेलू देसी उपायों को अपनाएं

  • खाना हल्का रखें: छाछ, नींबू पानी, हरी सब्जियां

  • दिन में 1 बार खाली पेट warm water with lemon + honey

  • जीरा, मेथी, धनिया का पानी पाचन में सहायक

“मोटापा पेट से नहीं, आदतों से शुरू होता है — और बदलाव भी वहीं से शुरू होता है।”

मोटापे पर सरकार की पहल:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ और विभिन्न मंचों से लगातार मोटापे के खतरे पर जागरूकता फैलाई है। उन्होंने देशवासियों से खाने में तेल की मात्रा 10% तक कम करने की अपील की और इसे एक सामाजिक जिम्मेदारी बताया।
  • एंटी-ओबेसिटी अभियान: प्रधानमंत्री ने 10 बड़ी हस्तियों को नामित कर एक चेन अभियान शुरू किया, जिसमें हर व्यक्ति 10 अन्य को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
  •  फिट इंडिया मूवमेंट, पोषण अभियान, ईट राइट इंडिया, खेलो इंडिया, और एनपी-एनसीडी (गैर-संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम): इन सरकारी अभियानों का मकसद स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित पोषण और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना है।
  •  जागरूकता अभियान: लगातार योग, फिटनेस और हेल्दी फूड हैबिट्स को लेकर सरकार अभियान चला रही है, जिससे मोटापे की महामारी को रोका जा सके।

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2107257

निष्कर्ष:

मोटापा सिर्फ शरीर की समस्या नहीं, राष्ट्र की उत्पादकता, स्वास्थ्य बजट और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर संकट है।
यह समय है कि हम इसे एक गंभीर महामारी की तरह देखें और समाज, सरकार और व्यक्ति — तीनों स्तरों पर प्रयास करें।

 सवाल सिर्फ पेट का नहीं, पूरे देश का है!
मोटापा अब सिर्फ मोटे लोगों की निजी समस्या नहीं, बल्कि एक ऐसी सामाजिक महामारी है जो चुपचाप आने वाली पीढ़ियों की सेहत, अर्थव्यवस्था और जीवन गुणवत्ता को खा रही है।
 “अगर अभी नहीं चेते, तो अगली महामारी अस्पताल नहीं, हमारे खाने के प्लेट से निकलेगी।”
अब समय है — जागरूक बनने का, आदतें बदलने का और इस महामारी से पहले कदम उठाने का।

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