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रिलेशनशिप साइकोलॉजी: क्यों आजकल ब्रेकअप ज्यादा हो रहे हैं?

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Sad couple sitting apart with a broken heart symbol in the background, representing relationship breakup psychology.

रिलेशनशिप साइकोलॉजी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो लोगों को अपने रिश्तों को बेहतर ढंग से समझने और स्वस्थ रिश्ते बनाने में मदद करता है। यह रिश्तों में लोगों के व्यवहार, भावनाओं, और विचारों को समझने की कोशिश करता है, और यह लोगों को अपने रिश्तों में सुधार करने में मदद कर सकता है।

आज के समय में रिलेशनशिप्स बनाना जितना आसान हो गया है, उन्हें निभाना उतना ही मुश्किल होता जा रहा है। एक समय था जब रिश्ते जीवनभर चलते थे, लेकिन अब ब्रेकअप और डिवोर्स की दरें तेजी से बढ़ रही हैं।

सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स, या हमारी बदलती मानसिकता इसके पीछे जिम्मेदार है? आइए इस मुद्दे को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझते हैं।

1. इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन और कम सहनशीलता

इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन का मतलब है कि बिना किसी देरी के तुरंत संतुष्टि की इच्छा|
क्या आप जानते हैं कि हमारे दिमाग को इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन (तुरंत संतुष्टि) की आदत पड़ चुकी है ?
आज के डिजिटल युग में सब कुछ एक क्लिक में उपलब्ध है। फूड ऑर्डर करने से लेकर डेटिंग ऐप्स तक, हमें हर चीज़ जल्दी चाहिए।किसी भी चीज के लिए इंतज़ार करना या धैर्य रखना हमारे वश में नहीं है | 
जब हम रिश्तों में भी तुरंत परफेक्शन की उम्मीद करते हैं, तो धैर्य कम हो जाता है। नतीजतन, छोटी-छोटी समस्याओं को झेलने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे ब्रेकअप बढ़ते हैं।

कैसे बचें?
*अपने रिश्ते में धैर्य बनाए रखें।
*परफेक्ट पार्टनर” के भ्रम से बचें।
*किसी भी समस्या पर खुलकर बात करें।

*किसी को समझने में थोड़ा समय दें | 

https://www.lukecoutinho.com/blogs/miscellaneous/how-instant-gratification-hijacks/

2. अटैचमेंट स्टाइल और बचपन के अनुभव

आपका बचपन आपके रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है ? मनोवैज्ञानिक जॉन बॉल्बी (John Bowlby) के अनुसार, हम अपने बचपन के अनुभवों के आधार पर अटैचमेंट स्टाइल विकसित करते हैं।
मुख्य अटैचमेंट स्टाइल:
1. Secure Attachment (सुरक्षित लगाव): ऐसे लोग रिश्तों में भरोसा बनाए रखते हैं और कम ब्रेकअप करते हैं।
2. Avoidant Attachment (बचने वाला लगाव): ये लोग भावनाओं को दबाते हैं और दूरी बनाए रखना पसंद करते हैं।
3. Anxious Attachment (चिंताग्रस्त लगाव): ये लोग अत्यधिक जुड़ाव चाहते हैं और पार्टनर की प्रतिक्रिया से असुरक्षित महसूस करते हैं।
4. Disorganized Attachment (अव्यवस्थित लगाव): बचपन में ट्रॉमा झेलने वाले लोगों में यह स्टाइल पाया जाता है।

कैसे बचें?
*अपने अटैचमेंट स्टाइल को पहचानें।
*यदि आपको बचपन के अनुभव प्रभावित कर रहे हैं, तो थेरेपी पर विचार करें।
*रिश्तों में भरोसा और समझदारी विकसित करें।

3. सोशल मीडिया और तुलना की समस्या

क्या इंस्टाग्राम और फेसबुक आपके रिश्ते को बर्बाद कर रहे हैं?
सोशल मीडिया पर हर कोई अपने रिश्ते को परफेक्ट दिखाता है। जब हम इसे देखते हैं, तो हमें अपने रिश्ते अधूरे लगते हैं।
यह तुलना असंतोष और ब्रेकअप की ओर ले जाती है।
“FOMO (Fear of Missing Out)” का असर रिलेशनशिप में नेगेटिविटी बढ़ा सकता है।

कैसे बचें?
*सोशल मीडिया पर रिलेशनशिप की तुलना करने से बचें।
*अपने रिश्ते में वास्तविक खुशी पर ध्यान दें, न कि ऑनलाइन परफेक्शन पर।

*रिश्तों में कमियां तलाशने की जगह खूबियां देखें | 

4. “डील ब्रेकर” की संख्या बढ़ गई है

पहले लोग छोटी-मोटी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते थे, लेकिन अब हर कोई अपनी “डील ब्रेकर” लिस्ट लिए घूमता है। हर रिश्ता शर्तों पर नहीं चलता, ये याद रखना जरुरी है। 
अगर पार्टनर की कोई आदत पसंद नहीं आई, तो लोग तुरंत ब्रेकअप की सोचने लगते हैं।
 “Red Flags” पहचानना ज़रूरी है, लेकिन छोटी चीज़ों को सहन करना भी महत्वपूर्ण है।

कैसे बचें?
*पार्टनर की छोटी कमियों को स्वीकार करना सीखें।
*सिर्फ बड़ी समस्याओं (जैसे धोखा, अपमान) पर ध्यान दें।

*धैर्य रखना और समय देना जरूरी है | 

https://www.psychologytoday.com/za/blog/finding-a-new-home/202202/the-7-biggest-deal-breakers-in-relationships

5. कम्युनिकेशन की कमी

“Communication is the key to a successful relationship.”
मनोवैज्ञानिक रिसर्च बताती है कि अधिकतर ब्रेकअप गलतफहमियों और कम्युनिकेशन गैप की वजह से होते हैं। यह बहुत आम है की आपसी मनमुटाव या झगड़े में खुल कर बातचीत करना ही एकमात्र रास्ता होता है। 

हम अपनी भावनाओं को सही से व्यक्त नहीं करते और छोटी बातें बड़े झगड़ों का रूप ले लेती हैं।

कैसे बचें?
*हर छोटी समस्या पर खुलकर बात करें।
*Active Listening (सुनने की कला) सीखें।
*पार्टनर की भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

6. इंडिविजुअलिज्म बनाम कमिटमेंट

व्यक्तिवाद का मूल सिद्धांत यह है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना मूल्य होता है और उसे अपने निर्णय लेने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का अधिकार है जबकि समर्पण व्यक्ति के लिए समूह या समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और उसकी भलाई के लिए काम करने पर जोर देता है। 

आज की पीढ़ी “Self-Love” और “Independence” पर ज्यादा ध्यान देती है। यह अच्छी बात है, लेकिन कभी-कभी लोग रिश्तों में ज़रूरी समर्पण को भूल जाते हैं। इससे रिश्तों को बिगड़ने में देर नहीं लगता। 
कुछ लोग “सिर्फ अपने लिए जीना चाहते हैं” और किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते।

कैसे बचें?
• रिश्ते में संतुलन बनाएं।
• अपनी स्वतंत्रता और कमिटमेंट के बीच सामंजस्य रखें।

https://helpfulprofessor.com/collectivism-vs-individualism/

7. मानसिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस

क्या डिप्रेशन और एंग्जायटी आपके रिश्ते को प्रभावित कर सकते हैं?
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस, रिश्तों में नेगेटिव इफेक्ट डाल सकते हैं।
जब एक पार्टनर मानसिक रूप से संघर्ष कर रहा होता है, तो यह रिश्ता तनावपूर्ण बन सकता है। मन की बातों को एक दूसरे से शेयर करें | 

कैसे बचें?
*मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
*यदि ज़रूरत हो, तो काउंसलिंग या थेरेपी लें।
*पार्टनर को समझें और सपोर्ट करें।

8. एक्सपेक्टेशन्स का प्रेशर

एक्सपेक्टेशन प्रेशर का मतलब होता है लोगों की अपेक्षाओं के कारण होने वाला तनाव। यह तनाव तब हो सकता है जब हम खुद से या दूसरों से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखते हैं या जब दूसरों की अपेक्षाएं हम पर बहुत ज़्यादा दबाव डालती हैं। 

आजकल लोग अपने पार्टनर से अत्यधिक उम्मीदें रखने लगे हैं।
फिल्मों, सोशल मीडिया और कहानियों की वजह से हम सोचते हैं कि जिंदगी वैसे ही रूमानी और मस्त होती है | हम चाहते हैं कि हमारा पार्टनर हमें हर समय खुश रखे। और जब यह संभव नहीं होता, तो निराशा और ब्रेकअप होते हैं।

कैसे बचें?

-वास्तविक अपेक्षाएं रखें।
-रिश्ते में परफेक्शन से ज्यादा समझदारी को महत्व दें।

-आभासी दुनियां (सोशल मीडिया और फिल्मों) से प्रभावित न हों |

-अपनी सीमाएं निर्धारित करें, यह निर्धारित करें कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। 

निष्कर्ष:

रिलेशनशिप को सफल बनाने के लिए सिर्फ प्यार ही काफी नहीं होता, समझदारी, धैर्य, और सही कम्युनिकेशन भी ज़रूरी हैं। रिश्ते बनाना आसान है लेकिन रिश्तों को बनाये रखना मुश्किल काम होता है। 
 अपने पार्टनर के प्रति सहानुभूति रखें। छोटी-मोटी परेशानियों को बड़ा मुद्दा न बनाएं। सोशल मीडिया की तुलना से बचें। समय-समय पर आत्मविश्लेषण करें। अपने हित से ऊपर उठ कर परिवार को हित सोचें। 
अगर हम इन मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझें और उन पर काम करें, तो रिश्तों की मजबूती को बनाए रखना आसान हो जाएगा।

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External Link: https://tinybuddha.com/blog/dealing-with-a-break-up-and-learning-from-the-experience/

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