“रिश्ते अचानक नहीं टूटते, वे धीरे-धीरे थक जाते हैं… और Couples Therapy उन्हें फिर से सांस लेना सिखाती है।”
हम मानते हैं कि प्यार काफी है। लेकिन सच्चाई ये है कि प्यार को निभाना, समझना और बचाना – सीखा जाता है।
जब दो लोग बार-बार एक ही मुद्दे पर झगड़ते हैं, संवाद कम होता है, या भावनात्मक दूरी बढ़ जाती है — तो इसका मतलब यह नहीं कि रिश्ता खत्म हो चुका है।
रिश्ते ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा हैं, लेकिन इनमें टकराव, गलतफहमी और दूरियाँ आना आम बात है। ऐसे में कपल थेरेपी एक वैज्ञानिक और प्रभावी तरीका है जो रिश्तों को मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
बल्कि यह वो समय होता है जब Couples Therapy जैसे वैज्ञानिक तरीकों की मदद ली जा सकती है।
Couples Therapy क्या होती है?
Couples Therapy एक प्रकार की काउंसलिंग है, जिसमें एक प्रशिक्षित थेरपिस्ट किसी कपल को उनके रिश्ते में आ रही समस्याओं को समझने, सुलझाने और रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करता है।
यह थेरेपी न केवल उन जोड़ों के लिए है जो रिश्ते में गंभीर संकट से गुजर रहे हैं, बल्कि उनके लिए भी जो अपने रिश्ते को और बेहतर बनाना चाहते हैं। यह “रिश्ते में सुधार” का एक साइंटिफिक, structured और सुरक्षित तरीका है।
कपल थेरेपी में थेरेपिस्ट दोनों पार्टनर्स को एक सुरक्षित और सहयोगी माहौल देता है, जहाँ वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं। यह थेरेपी निम्नलिखित मुद्दों को हल करने में मदद करती है:
- बार-बार होने वाले झगड़े
- आपस में दूरी या भावनात्मक अलगाव
- विश्वासघात (चीटिंग)
- Parenting से जुडे मतभेद
- सेक्स से जुड़ी समस्याएं
- बाहरी दबाव या तनाव (जैसे फाइनेंशियल, फैमिली इश्यू)
कपल थेरेपी से आपसी समझ, सम्मान, स्नेह और इंटिमेसी बढ़ती है, जिससे रिश्ता और मजबूत होता है।
https://www.verywellmind.com/couples-therapy-definition-types-techniques-and-efficacy-5191137
Couples Therapy में क्या होता है?
- Therapist दोनों पार्टनर्स को एक सुरक्षित और गैर-आलोचनात्मक माहौल देता है
– जहां वे खुलकर अपनी बातें और भावनाएं शेयर कर सकें। - मूल समस्या की पहचान होती है, जो अक्सर सतह से गहरी होती है
– जैसे: “तुम मेरी बात नहीं सुनते” के पीछे हो सकता है “मुझे अनदेखा किया जाना बचपन से चुभता है।” - सुनने और जवाब देने की Healthy तकनीकें सिखाई जाती हैं
– ताकि पार्टनर्स आलोचना की बजाय सहानुभूति से बात करें। - पुराने ज़ख्मों को प्रोसेस किया जाता है
– ताकि अतीत की बातें बार-बार झगड़ों में न आएं। - भविष्य के लिए व्यावहारिक रणनीतियां दी जाती हैं
– जैसे “I” statements, time-outs, emotion regulation, love language exercises आदि।
किसे ज़रूरत होती है Couples Therapy की?
बहुत से लोग सोचते हैं कि थेरपी सिर्फ टूटते रिश्तों के लिए होती है, लेकिन यह एक रोकथाम (prevention) का भी तरीका है।
यह मदद करता है जब:
- झगड़े बार-बार एक ही मुद्दे पर होते हैं
- संवाद एकतरफा या खत्म हो चुका है
- सेक्सुअल इंटीमेसी या भावनात्मक जुड़ाव कम हो गया है
- एक साथी धोखा दे चुका है और भरोसा टूट गया है
- या बस… लगने लगा है कि कुछ “खो गया” है
- आपको लगने लगे कि आप सिर्फ साथ रह रहे हैं, साथ जी नहीं रहे
- जब आप बात करते-करते लड़ाई में बदल जाते हैं
- आप अलग होने का सोचने लगते हैं, लेकिन दिल में रिश्ता बचाने की चाह हो
- या तब भी, जब आप शादी या गंभीर रिश्ते में कदम रखने से पहले एक-दूसरे को बेहतर समझना चाहते हों
कौन-कौन से साइंटिफिक तरीके हैं ?
Couples Therapy केवल “बातचीत” नहीं होती — यह एक स्ट्रक्चर्ड, वैज्ञानिक और रिसर्च-बेस्ड प्रक्रिया होती है, जिसे खासतौर पर रिश्तों को सुधारने, गहराई से समझने और नए तरीके से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
1. Gottman Method Couples Therapy
यह मेथड डॉ. जॉन गॉटमैन ने विकसित की है, जो झगड़ों को सुलझाने, संचार कौशल बढ़ाने और रिश्ते में दोस्ती बढ़ाने पर जोर देती है इससे झगड़े कम होते हैं और रिश्ते में सकारात्मक बातचीत बढ़ती है, जिससे इंटिमेसी और विश्वास बढ़ता है।
इस थेरपी की खास बातें:
- कपल्स के बातचीत के पैटर्न को समझा जाता है
- यह देखा जाता है कि वे कैसे बहस करते हैं, सुनते हैं, चुप रहते हैं, आलोचना करते हैं या भावनात्मक रूप से दूर हो जाते हैं
- फिर कपल्स को प्रैक्टिकल टूल्स दिए जाते हैं जैसे:
- Love Maps: एक-दूसरे की दुनिया, भावनाओं और ट्रिगर्स को जानना
- Bids for Connection: छोटे संकेतों को पहचानना, जैसे “तुमने आज मुझे मिस किया?”
- Repair Attempts: झगड़े के दौरान शांति बनाए रखने के प्रयास
- Shared Meaning: रिश्ते में एक साझा उद्देश्य बनाना
2. Emotionally Focused Therapy (EFT)
EFT रिश्ते में भावनात्मक जुड़ाव और सुरक्षा को बढ़ाने पर फोकस करता है। इससे भावनात्मक बॉन्डिंग मजबूत होती है और दोनों एक-दूसरे के प्रति ज्यादा समझदारी दिखाते हैं। Dr. Sue Johnson द्वारा विकसित, attachment theory पर आधारित
यह कैसे काम करती है:
- यह थेरपी कपल्स की भावनात्मक ज़रूरतों और डर को पहचानती है
- कपल्स को यह समझाया जाता है कि गुस्सा या दूरी के पीछे क्या भावनात्मक असुरक्षा है
- फिर उन्हें सुरक्षित जुड़ाव (Secure Attachment) बनाने की तकनीकें सिखाई जाती हैं
Therapy के तीन चरण होते हैं:
- De-escalation: झगड़े या टकराव के पैटर्न को पहचानना
- Restructuring Bond: इमोशनल एक्सप्रेशन को खोलना और विश्वास बनाना
- Consolidation: नए रिश्ते के पैटर्न को स्थायी बनाना
3. Cognitive-Behavioral Couples Therapy (CBCT)
यह थेरेपी माइंडफुलनेस और स्वीकृति पर जोर देता है। इससे तनाव कम होता है और रिश्ते में अधिक सहयोग और समझदारी आती है।
यह कैसे काम करती है:
- कपल्स के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीकों को जोड़ा जाता है
- ये समझाया जाता है कि नकारात्मक सोच (e.g. “तुम कभी मेरी नहीं सुनते”) कैसे व्यवहार को प्रभावित करती है
- कपल्स को positive re-framing, assertive communication, और problem-solving skills सिखाई जाती हैं
4. Acceptance and Commitment Therapy (ACT)
ACT में थेरेपिस्ट दोनों पार्टनर्स को अपनी भावनाओं और विचारों को स्वीकार करने और अपने मूल्यों के अनुसार काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
कैसे काम करता है:
- इसमें “वैल्यू-बेस्ड लिविंग” (अपने मूल्यों के अनुसार जीना)
- “साइकोलॉजिकल फ्लेक्सिबिलिटी” (भावनात्मक लचीलापन) पर काम किया जाता है।
- इससे दोनों पार्टनर्स अपनी भावनाओं से बेहतर तरीके से निपट पाते हैं और रिश्ते में ज्यादा सकारात्मकता आती है।
कुछ Science-backed Key Elements:
प्रक्रिया | इसका उद्देश्य | कैसे मदद करता है |
---|---|---|
Active Listening | सही ढंग से सुनना और समझना | ग़लतफहमी कम करता है |
Emotion Regulation | भावनाओं को नियंत्रित करना | झगड़ों को शांति से हल करना |
Attachment Awareness | असुरक्षा को समझना | नज़दीकी और भरोसा बढ़ाना |
Shared Goals | साझा उद्देश्य बनाना | रिश्ते को गहराई देना |
Practical Tools | रोज़मर्रा के संवाद के टूल्स | व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना |
https://www.clinicsource.com/blog/couples-therapy
एक स्टडी के अनुसार, EFT थेरेपी लेने वाले 61% जोड़ों ने अपने रिश्ते में सुधार महसूस किया, जबकि 11% ने कुछ हद तक सुधार दर्ज किया। इसी तरह, ACT और CBCT जैसी मेथड्स भी रिश्ते में तनाव कम करने और इमोशनल क्लोजनेस बढ़ाने में कारगर साबित हुई हैं।
Therapy का मतलब रिश्ता टूटना नहीं, संभलना है, बहुत से कपल्स इस डर से थेरपी नहीं करते कि “क्या लोग सोचेंगे?” लेकिन असल में थेरपी लेना ये दिखाता है कि आप अपने रिश्ते को महत्त्व देते हैं। “हर रिश्ता झगड़ों से नहीं, चुप्पियों से टूटता है – और Couples Therapy इस चुप्पी को संवाद में बदलती है।
स्वस्थ रिश्ते के लिए कुछ साइकोलॉजिकल टिप्स
सक्रिय रूप से सुनना (Active Listening): अपने पार्टनर की बात को पूरी तरह सुनें, उनकी भावनाओं को समझें और फीडबैक दें।
“मैं” वाक्यों का इस्तेमाल: “तुम” की बजाय “मैं” से शुरू करके अपनी भावनाएं बताएं, ताकि आरोप न लगे।
भावनात्मक और शारीरिक इंटिमेसी: एक-दूसरे के करीब आने के लिए समय निकालें, साथ में क्वालिटी टाइम बिताएं।
पॉजिटिव इंटरैक्शन: एक-दूसरे की तारीफ करें, प्यार जताएं और सकारात्मक बातचीत बनाए रखें।
प्रोफेशनल मदद लेना: अगर समस्याएं बढ़ रही हैं, तो कपल थेरेपिस्ट की मदद लें।
निष्कर्ष:
Couples Therapy कोई आख़िरी इलाज नहीं, बल्कि रिश्ते को पहले ही संभालने का साइंटिफिक तरीका है।
प्यार को बनाए रखने के लिए सिर्फ भावना नहीं, समझ, अभ्यास और पेशेवर मदद की भी ज़रूरत होती है। यह रिश्ते को “तोड़ने” से पहले “समझने और संभालने” का एक वैज्ञानिक तरीका है।
यह थेरेपीकोई “कमज़ोरी” नहीं, बल्कि “परिपक्वता” की निशानी है। यह रिश्ते को टूटने से बचाने का एक ऐसा अवसर है, जो बहुत से लोग देर से पहचानते हैं। “सच्चा प्यार तब होता है जब आप रिश्ता बचाने के लिए मदद लेने से नहीं डरते।”
Couples Therapy एक इलाज नहीं, बल्कि एक अभ्यास (process) है – जहां कपल्स अपने पुराने जख्मों को समझते हैं, व्यवहारिक आदतों को सुधारते हैं और एक नए, स्वस्थ रिश्ते की नींव रखते हैं। “ये रिश्ते को फिर से जोड़ने का कला और विज्ञान दोनों है।”
अगर आप भी अपने रिश्ते को और बेहतर बनाना चाहते हैं — तो Therapy को एक ‘आख़िरी उपाय’ नहीं, बल्कि ‘पहला क़दम’ बनाइए।
अगर आप रिश्ते में किसी तरह की दूरी या मुश्किल महसूस कर रहे हैं, तो कपल थेरेपी का सहारा लेना एक स्मार्ट और साइंटिफिक चुनाव हो सकता है
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मेरा पति तो बिल्कुल बेकार है 🙏
कुछ समझता नहीं है बस मुंह पर दरवाजा बंद कर देता है मुझे देखकर। कैसे ऐसे राक्षस के साथ 28 साल बिता दिए। अब जो भी कुछ वह करता मैं रियेक्ट नहीं करती। सब कुछ उसके अकोरडिंग करती रहती हूं ताकि तनाव ना हो । बेटियों को दुःख न मिले।
जब कोई उपाय ना हो तो एडजस्ट करना एक अच्छा उपाय है लेकिन साथ में खुद को फिनेंशली मजबूत करना भी जरुरी है। धन्यवाद अपनी समस्या बताने के लिए।